जैसा कि आप लोग जानते ही हैं मैं दमन में रहता हूँ। हमारे पड़ोस में मेरा दोस्त रवि रहता है। रवि पड़ोस में अकेला रहता है उसका सारा परिवर गांव में है।
एक बार उसकी मामी किसी अधिवेशन के सिलसिले से दमन आई और उसके घर पर करीब दो महीने रही। सबसे पहले उसके मामी के विषय में आप लोगों को बता दूँ। मामी का नाम फ़रीदा है वो करीब चालीस साल की सांवली, सुडौल, शादीशुदा महिला है। वैसे तो वो हाउस-वाइफ़ है लेकिन गांव में मशहूर समाज-सेविका है। उसके चूतड़ और वक्ष काफ़ी बड़े बड़े और भारी हैं। शकल-सूरत से वो खूब सेक्सी और तीस साल से कम लगती है। अकसर मैं शनिवार या रविवार जो कि मेरे छुट्टी के दिन हैं, रवि के साथ गुजारता हूँ। जबसे उसकी मामी आई है तब से मैं मामी से दो-तीन बार मिल चुका हूँ। वो जब भी मिलती तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी। मुझे देख कर उसकी नज़रों में एक अजीब नशा छा जाता था या यूं कहिये उसकी नज़र में सेक्स की चाहत झलक रही हो !ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ यह मैं बता नहीं सकता हूँ लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नज़रों ही नज़रों में मुझे सेक्स की दावत दे रही हो। मैं जब भी उनसे मिलता तो कम ही बातचीत करता था मगर जब वो बातें करती तो उनकी बातों में दोहरा अर्थ होता था-
जैसे- तुम खाली समय में कुछ करते क्यों नहीं? मैंने कहा- मामी जी, क्या करुँ आप ही बतायें?
वो बोली- तुम्हें खाली समय का और मौके का फायदा उठाना चाहिये। मैंने कहा- जरूर फायदा उठाऊँगा अगर मौका मिले तो। वो बोली- मौका तो कब से मिल रहा है लेकिन तुम कुछ समझते नहीं ! न ही कुछ करते हो !
मैं उनकी बातें सुन कर चकराया और बोला- मामी जी, आपकी बातें मेरे दिमाग में नहीं घुस रही हैं। वो बोली- देखो आज और कल यानि शनिवार और रविवार तुम्हारी छुट्टी होती है तो तुम्हें कुछ कुछ पार्ट-टाइम जोब करना चाहिये ताकि तुम्हारी आमदनी भी हो जायेगी और टाइम पास भी होगा। इसी तरह की दोहरे शब्दो में मामी जी बातें करती थी और वो जब भी मुझसे बातें करती तब रवि या तो बाथरूम में होता या फिर किसी काम में व्यस्त होता। एक दिन जब सुबह करीब ११ बजे रवि के घर पहुंचा तो घर पर उसकी मामी थी। रवि मुझे कहीं नज़र नहीं आया। मैंने पूछा- मामी जी ! रवि नज़र नहीं आ रहा है ! कहाँ गया वो? मामी: वो बाथरूम में कब से नहा रहा है। मैं उसी के बाहर निकलने का इन्तज़ार कर रही हूँ। लेकिन वो तो ज्यादा समय बाथरूम में लगाता ही नहीं ! तुरंत ५ मिनट में आ जाता है। मामी हंसते हुए: अरे भाई, बाथरूम और बेडरूम ही तो ऐसी जगह है जहां से कोई भी जल्दी निकलना नहीं चाहता है। मैं कोई जवाब नहीं दे सका, वो भी चुप रही। थोड़ी देर बाद रवि बाथरूम से नहा-धो कर बाहर आया। उसके बाथरूम से आते ही मामीजी बाथरूम में गई और मेरी तरफ़ नशीली नज़रों से देखती हुई बोली घबराना मत मैं ज्यादा समय नहीं लगाउंगी। आप लोग नाश्ते के लिये मेरा इन्तज़ार करना !
कहते हुए वो बाथरूम में घुस गई करीब २० मिनट बाद वो तैयार होकर हमारे साथ नाश्ता करने लगी।
नाश्ता करते वक्त रवि ने कहा- यार, आज मुझे ऑफ़िस के काम के सिलसिले में सूरत जाना है। और मैं कल रात को या सोमवार दोपहर को वापस लौटूंगा। अगर सोमवार दोपहर को लौटूंगा तो तुम्हें कल फोन कर दूंगा। अगर तुम्हें ऐतराज़ न हो तो तुम, जब तक मैं नहीं आता हूँ, मेरे घर रुक जाना ताकि मामी को बोरियत महसूस नहीं हो, न ही मुझे उनकी चिंता रहेगी क्योंकि वो दमन में पहली बार आई हैं।
मैंने कहा- ठीक है ! मुझे कोई परेशानी नहीं ! वो १२.३० बजे वाली ट्रेन से सूरत चला गया। मैं भी उसे ट्रेन में बिठाने के लिये बोरिवली गया। जब वापस लौट रहा था तो मैंने एक बार में जाकर ३ पेग व्हिस्की पी और लौट कर रवि के घर गया। घर पर मामी जी हाल में बैठ कर कोई किताब पढ़ रही थी। मुझे नशीली निगाहों से देखा और बोली- रवि को बैठने की सीट मिल गई थी क्या ?
मैंने कहा- हां ! क्योंकि ट्रेन बिल्कुल खाली थी। वो बोली- मैंने खाना बना लिया है! भूख लगी हो तो बोल देना। मैंने कहा अभी भूख नहीं है जब होगी तो बोल दूंगा। मामी की निगाहों में अजीब नशा देख कर मैंने पूछा- मामी जी ! आप करती क्या हैं? थोड़ी देर तक मेरे नज़रों से नज़रें मिलाती रही, फिर बोली- समाज-सेवा ! यह सुनते ही अचानक मेरे मुँह से निकल गया- कभी हमारी भी सेवा कर दीजिये ताकि हमारा भी भला हो जाये। वो हल्के से मुस्कुराई और बोली- तुम्हारी क्या परेशानी है? मैंने कहा- वैसे तो कुछ खास नहीं है, लेकिन बता दूँगा जब उचित समय होगा। वो मेरे आंखों में आंखें डालती हुए बोली- यहाँ तुम्हारे और मेरे अलावा कोई नहीं है, बेझिझक अपनी परेशानी कह डालो ! शायद मैं तुम्हारी परेशानी हल कर दूं? मैंने कहा- आप किस प्रकार की समाज सेवा करती हो? वो बोली- मैं जरुरतमंद लोगों की जरुरत पूरी करने की मदद करती हूँ, उनकी समस्या हल करती हूँ।
मैंने कहा- मेरी भी जरुरत पूरी कर दो न ! वो बोली- जब वक्त आयेगा तो कर दूंगी ! फिर वो चुप रही और मैगज़ीन पढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने पूछा- मामी जी, आप क्या पढ़ रही हैं? कुछ खास सब्जेक्ट है क्या इस मैगज़ीन में? वो मुस्कुराते हुए बोली- इस मैगज़ीन में बहुत अच्छा लेख है पत्नि और पति के सेक्स के विषय में। फिर वो पढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद उसने पूछा- यह सिडक्शन का क्या मतलब होता है? मैं सोचने लगा ! वो मेरी ओर कातिल निगाहों से देखती हुई बोली- बताओ न ! मेरी समझ में नहीं आया कि हिंदी में उसे कैसे बताऊँ। वो लगातार मेरी ओर देख रही थी। उसकी आंखों में नशा छाने लगा। मैं उसे गौर से देख रहा था, उसके होंठ खुश्क हो रहे थे। वो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी। मैंने सोचा अच्छा मौका है मामी को पटाने का। वो इठलाकर बोली- बताओ न क्या मतलब होता है? उसकी इस अदा को देखते हुए मैंने कहा- शायद चुदास ! वो बोली- क्या कहा? क्या मतलब होता है? मैंने कहा- क्या तुम चुदास नहीं समझती हो? वो बोली- कुछ कुछ… क्या यही मतलब होता है? मैंने कहा- हां शायद यानि कि…… ! कैसे समझाऊँ तुम्हें मामीजी ! मैंने उलझ कर कहा। वो हंसते हुए बोली- चुदास का मतलब सेक्स करने की चाहत तो नहीं? मैं उसे एकटक देखने लगा- उसके होंठों पर चंचल मुस्कुराहट थी। मैंने कहा- ठीक समझी आप। वो मेरे आंखों में आंखे डाल कर बोली- किस शब्द से बना है चुदास? मैंने उसकी आवाज में कंपकपी महसूस की। मेरे दिल ने कहा- गधे वो इतना चांस दे रही है तू भी बन जा बेशरम, वरना पछतायेगा। मैंने कहा- चुदास चोदना शब्द से बना है।वो खिलखिला कर हंसने लगी और मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी। मैं सोचने लगा अब क्या करूं? अचानक उसने पूछा- ये वेजिना क्या होता है? मेरे दिल ने कहा- साली जानबूझ कर ऐसे सवाल पूछ रही है।मैंने बिंदास होकर कहा- योनि को वेजिना कहते हैं।
उसने फिर पूछा- यह योनि क्या होता है? मैंने कहा- क्या आप योनि नहीं जानती हो?
वो बोली- नहीं। मैंने कहा- चूत समझती हो? उसने झट से मुँह पर हाथ रखा और मैगज़ीन के पन्ने पलटती हुई बोली- हाँ ! मैंने हिम्मत कर के कहा- चुदास की बहुत चाहत हो रही है? उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा- चुदास की प्यास? मैंने कहा- वाकई चुदास की प्यास लगी है?वो बोली- मैं दो साल से प्यासी हूँ, क्योंकि दो साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था।
मैंने कहा- ओह ! इसका मतलब कि दो साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है।
वो सिर झुका कर बोली- आज तक तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं। मैं बोला- अगर मिल जाता तो?
वो बोली- तो मैं अपनी चूत को उस लंड पर कुर्बान कर देती। मैं बोला- आओ मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्यौछावर होने के लिये बेकरार है। तुरंत उसे अपने बाहों में ले लिया और उसके होंठों में होंठ डाल कर चुम्बन करने लगा। मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहे थे और उसने पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया, फिर धीरे धीरे सहलाने लगी। मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैं पैंट और अंडरवीयर निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया। अब उसने फिर मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। कभी वो मेरे लंड के सुपाड़े को चूसती, कभी जबान से लंड को जड़ तक चाट रही थी। ऐसा उसने करीब १५ मिनट तक किया। आखिर में रहा न गया, मैंने उसके मुँह में ढेर सारा वीर्य डाल दिया। फिर हम दोनों सोफ़े पर आकर बैठ गये। मेरा लंड फिर सामान्य हो गया। वो अब भी साड़ी पहने हुई थी मैंने उसकी साड़ी में हाथ डाल कर जांघों को सहलाया फिर हाथ को उसके चूत पर ले गया। उसकी पैंटी गीली हुई थी इतनी गीली थी जैसे पानी से भिगोई हो। मैंने उसके पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलना शुरु किया। वो बिन पानी के मछली की तरह तड़पने लगी। फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला। उसकी चूत फूली हुई और गरम भट्टी की तरह सुलग रही थी। मैं उसकी चूत की दरार में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा जिस कारण वो बेकरार होने लगी। अब मैंने उसे सोफ़े पर लिटा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। उसकी पैंटी चूत के अमृत से तर-बतर थी। मैंने पैंटी को पकड़ा और जांघों तक सरका दिया। अब उसने खुद उठ कर अपनी पैंटी निकाल दी और फिर सोफ़े पर लेट गई। उसके घुटने ऊपर थे और टांगें फैली हुई थी। उसकी सांवली चूत अब बिल्कुल साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी। मैंने अपने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे लगा मैंने आग को छू लिया हो क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी। मैं धीरे-धीरे अपनी उंगली उसके चूत में अंदर-बाहर करने लगा, उसके मुंह से आअह्हह्हाअ ऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की आवाज निकल रही थी। अब मैंने दो उंगलियाँ उसकी कोमल चूत में घुसाई। चिकनी चूत होने से दोनों उंगलियाँ आराम से अंदर-बाहर हो रही थी। लगभग पचास साठ बार मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत की घिसाई की। इधर मेरा लंड भी फूल कर तन गया था। अब मैं उठ खड़ा हुआ और उसे लेकर बेडरूम में ले गया। वो आंखें बंद किये मेरे अगले कदम का इन्तज़ार करने लगी। मैंने शर्ट निकाल कर उसकी साड़ी और पेटिकोट दोनों उतार दिये और हम बिल्कुल नंगे हो गये। वो करवट लेकर लेट गई। अब उसके चूतड़ साफ़ झलक रहे थे। मैंने उसकी गांड पर हाथ फ़िराया। क्या गांड थी ! गोल मटोल गांड थी उसकी ! मैं करीब ५ मिनट तक उसकी गांड को सहलाता रहा, फिर उसकी कमर पकड़ कर चित्त लिटा दिया। और जितना हो सका उतनी उसकी टांगें फैला दी। फिर उसकी चूत की दरारों को फैला कर अपनी जीभ से चूत चाटने लगा। उसके मुंह से हाअ ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की नशीली आवाजें निकल रही थी। अपनी जीभ से उसकी चूत के एक-एक भाग चाट रहा था। बीच बीच में चूत को जीभ से चोद रहा था। वो बिल्कुल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। वो बोली- अब हटो ! मेरी चूत काफ़ी गरमा चुकी है। अपना लंड मेरी गरमगरम चूत में घुसेड़ दो राजा। उफ़्फ़फ़। अपने लंड से मेरी चूत की गरमी और प्यास बुझा दो ! आज इतना कस कस कर चोदो कि मेरे पूरे अरमान निकल जायें। जैसे ही मैंने उसकी चूत से अपना मुंह हटाया उसने अपनी टांगें मोड़ ली। मै उसकी उठी हुई टांगों के बीच बैठ गया। मैंने उसकी टांगें अपने हाथ से उठा कर अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रखा। जिस कारण उसके शरीर में झुरझुरी मच गई। लंड को चूत के मुंह में रखते ही चूत की चिकनाहट के कारण अपने आप अंदर जाने लगा। मैंने कस कर एक धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया। गरमागरम चूत के अंदर लंड की अजीब हालत थी। अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसकी चूत के घर्षण से मेरा लंड फूल कर और मोटा हो गया। मेरे हर धक्के पर वो ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ आआह्हह ऊऊह्हह्हह की आवाजें निकालने लगी। करीब २० मिनट तक मैं उसके चूत में अपना लंड अंदर-बाहर करता रहा। फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दना दन लंड को चूत में मूसल की तरह घुसाता रहा। उसने मुझे कस कर बाहों में जकड़ लिया, मैं समझ गया कि वो झड़ रही है, और कराह रही थी, बोल रही थी- हाय! दो साल बाद मेरी चूत की खुजली मिटी है। वाकई तुम पक्के चुदक्कड़ हो। चोदो मुझे ! जोर जोर से चोद। मेरा लंड फच फच की आवाज के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। पूरे कमरे में चुदाई की फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाजे गूंज रही थी। मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था कुछ देर बाद उसके झड़ने के कारण मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था और वो निढाल होकर लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी। करीब ५०-६० धक्कों के बाद मेरे लंड से आखिर जोरदार फ़व्वारा निकला और उसकी चूत में समा गया। जब तक लंड से एक एक बूंद उसकी चूत में समाती रही मैं धक्कों पर धक्के लगाता रहा। आखिर में मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके बाजू में लेट गया। हम दोनों की सांसे तेज चल रही थी, वो दाहिने करवट से लेटी हुई थी। करीब १५-२० मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे। फिर मेरी नज़र उसकी गांड पर पड़ी। गांड का ख्याल आते ही लंड फिर से हरकत करने लगा। मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रख कर घुसाने की कोशिश की। उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था। मैंने ढेर सारा थूक उसकी गांड के छेद पर और अपनी उंगली पर लगाया और दुबारा उसकी गांड में उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। गीलेपन के कारण मेरी उंगली थोड़ी गांड में घुस गई उंगली घुसते ही वो कसमसाहट करने लगी। वो तड़प कर आगे खिसकी जिस वजह से उंगली गांड के छेद से बाहर निकल गई और मुड़ कर बोली- क्या कर रहे हो? मैंने कहा- तुम्हारी गांड सचमुच खूबसूरत है। वो बोली- उंगली क्यों घुसाते हो? लंड क्या सो गया है? उसकी यह बात सुनकर मैं खुश हुआ और उसे पेट के बल लिटा दिया और दोनों हाथों से उसके चूतड़ फ़ैला दिए जिससे उसकी गांड का छेद और खुल गया। वो धीरे से बोली- नारियल तेल या कोई चिकनी चीज मेरे गांड और लंड पर लगा लो तो आसानी रहेगी। मैंने कहा- मैडम इससे भी अच्छी चीज है मेरे पास वेसलीन ! मैं उठ कर ड्रायर से वेसलीन ले आया और ढेर सारी वेसलीन अपने लंड और उसकी गांड पर लगाई और उसकी गांड मारने को तैयार हो गया। अब मैंने अपना लंड उसकी गांड के सुराख पर लगाया और थोड़ा जोर लगा कर धकेला। लंड का सुपाड़ा गांड में थोड़ा सा घुस गया। फ़िर थोड़ा जोर लगा कर और धक्का दिया तो सुपाड़ा उसकी गांड में समा गया। सुपाड़ा गांड में घुसते ही वो बोली- थोड़ा आहिस्ते-आहिस्ते डालो ! दर्द हो रहा है ! दो साल हो गये गांड मरवाये। अब मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही धीरे-धीरे गांड के अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद ही उसकी गांड का छेद पूरा लंड खाने के काबिल हो गया। मुझे लगा कि अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में घुस जायेगा और ऐसा ही हुआ। उसकी गांड के छेद में चिकनाहट की वजह से लंड थोड़ा थोड़ा और अंदर समाने लगा। दो-तीन मिनट की मेहनत से मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड में घुस गया। मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड से अंदर बाहर करने लगा। उसकी गांड कसी होने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसे भी गांड मरवाने का मजा आ रहा था और मुंह से ऊफ़्फ़ आह्हा की आवाजें निकाल रही थी। ४०-५० धक्कों के बाद मेरे लंड ने घुटने टेक दिये और उसकी गांड में ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया। वो भी अपनी गांड को सिकोड़ने लगी।
अब हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेट गये। जब तक मेरा दोस्त नहीं आया मैंने उसकी मामी की कई बार चूत और गांड मारी। जब मैं वापस अपने घर लौटने लगा तो मामी बोली- कैसी रही मेरी समाज सेवा? मैंने हंस कर कहा- मामी जी, आप सच्चे तन मन से समाज सेवा करती हो !
फिर मैं घर लौट आया।
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